ऐ मेरे दोस्त! मेरे अजनबी! ~ अमृता प्रीतम

ऐ मेरे दोस्त! मेरे अजनबी!एक बार अचानक – तू आयावक़्त बिल्कुल हैरानमेरे कमरे में खड़ा रह गया।साँझ का सूरज अस्त होने को था,पर न हो सकाऔर डूबने की क़िस्मत वो भूल-सा गया… फिर आदि के नियम ने एक दुहाई दी,और वक़्त ने उन खड़े क्षणों को देखाऔर खिड़की के रास्ते बाहर को भागा… वह बीते … Read more

अमृता प्रीतम – चुनी हुई कविताएँ

धूप का टुकड़ा मुझे वह समय याद है-जब धूप का एक टुकड़ा सूरज की उँगली थाम कर अँधेरे का मेला देखता उस भीड़ में कहीं खो गया… सोचती हूँ-सहम का और सूनेपन का एक नाता है मैं इसकी कुछ नहीं लगती पर इस खोये बच्चे ने मेरा हाथ थाम लिया  तुम कहीं नहीं मिलते हाथ को छू रहा है एक नन्हा-सा गर्म साँस न हाथ … Read more

ख़ाली जगह – अमृता प्रीतम

download the app from this link सिर्फ़ दो रजवाड़े थे – एक ने मुझे और उसे बेदखल किया था और दूसरे को हम दोनों ने त्याग दिया था। नग्न आकाश के नीचे – मैं कितनी ही देर – तन के मेंह में भीगती रही, वह कितनी ही देर तन के मेंह में गलता रहा। फिर … Read more

आत्ममिलन – अमृता प्रीतम

  download the app from this link मेरी सेज हाज़िर हैपर जूते और कमीज़ की तरहतू अपना बदन भी उतार देउधर मूढ़े पर रख देकोई खास बात नहींबस अपने अपने देश का रिवाज़ है…… अमृता प्रीतम जन्म : 31 अगस्त, 1919 गुजरांवाला (पंजाब) विधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी मुख्य कृतियाँ : उपन्यास : डॉक्टर देव, … Read more

अमृता प्रीतम

download the app from this link ऐ मेरे दोस्त! मेरे अजनबी! एक बार अचानक – तू आया वक़्त बिल्कुल हैरान मेरे कमरे में खड़ा रह गया। साँझ का सूरज अस्त होने को था, पर न हो सका और डूबने की क़िस्मत वो भूल-सा गया… फिर आदि के नियम ने एक दुहाई दी, और वक़्त ने … Read more

error: Content is protected !!