मुलाक़ात पर बेहतरीन शायरी

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मिटे ये शुबह तो ए दोस्त तुझ से बात करें
हमारी पहली मुलाक़ात आख़िरी तो नहीं
कृष्ण बिहारी नूर

क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं
वो तो मिलने को मुलाक़ात समझता ही नहीं
फ़ातिमा हसन

कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
शकील बदायुनी

जब उस की ज़ुल्फ़ में पहला सफ़ेद बाल आया
तब उस को पहली मुलाक़ात का ख़याल आया
शहज़ाद अहमद

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
बशीर बद्र

ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है
बात होती है मगर बात नहीं होती है
हफ़ीज़ जालंधरी

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