जिस दिल मैं हूँ – विकास बंसल

ये दिल है किसी का जिस दिल मैं हूँ
नादान हैं वो नहीं जानते हर दिल में मैं हूँ

किसी से करके प्यार आज बड़ी मुश्किल में मैं हूँ
ढूँढती हर नज़र सिर्फ़ मुझे हर महफ़िल में मैं हूँ

आईना क्या बतायेगा, क्या है शख़्सियत मेरी
सब झूठ है फ़रेब है बस और बस असल में मैं हूँ

ज़िन्दगी गुज़र जायेगी तेरे हर पल पल में मैं हूँ
गा के तो देख शब्द मेरे एक बार ग़ज़ल में मैं हूँ

ये हवायें, ये मौसम, ये लम्हा, ये दिन और महीना
ख़ुदा की बनाई हर कायनात की शक्ल में मैं हूँ

ये दिल है किसी का जिस दिल मैं हूँ
नादान हैं वो नहीं जानते हर दिल में मैं हूँ

विकास बंसल

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