उस के होंटों पे

आते आते मिरा नाम सा रह गया उस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया रात मुजरिम थी दामन बचा ले गई दिन गवाहों की सफ़ में खड़ा रह गया वो मिरे सामने ही गया और मैं रास्ते की तरह देखता रह गया झूट वाले कहीं से कहीं बढ़ गए और मैं था कि सच … Continue reading उस के होंटों पे